गाँधी शब्द सुनते ही हमारा मन गौरवान्वित हो जाता हे और एक गर्व की अनुभूति होती है कि ईश्वर की कृपा है कि मेने उस देश में जन्म लिया, जिस महान भूमि पर हम सबके प्रिये महात्मा गांधी जी आज से लगभग 150 वर्ष पूर्व पैदा हुए थे।
गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था, जो गुजरात राज्य में स्तिथ है। गाँधी जी ने जिस समय आँख खोली वो समय भारत वर्ष के लिए अत्यंत कठिन और दुखदायी समय था। भारत अंग्रेजों की ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा था। प्रजा पर अत्यधिक अत्याचार होते थे। अर्थात कठिनाई ही कठिनाई थी।
गाँधी जी जो अफ्रीका से 21 बर्षों के लंबे संघर्ष करके भारत वापस आये थे और ये संघर्ष वहाँ के निवासियों के साथ भेदभाव पूर्ण नीति के विरुद्ध था। भारत देश भी इसी तरह की ग़ुलामी की ज़नजीरों में जकड़ा था। ग़ांधी जी का मन ये सारे भेद भाव देखकर बहुत दुखी हुआ और उन्होंने इस के विरुद्ध आवाज़ उठाने का फैसला किया।
गाँधी जी ने अंग्रेजों की गुलामी और भेदभाव की नीति के विरुद्ध आंदोलन के लिए एक नये प्रकार के हथियार का अविष्कार किया। और इस नए हथियार का नाम था अहिंसा। अर्थात Non Violence। ये एक ऐसा हथियार था जिसका प्रयोग इस संसार में आज़ादी के आंदोलनो में कभी किसी ने नहीं किया था। अहिंसा के इस हथियार से गांधी जी ने उस ब्रिटिश शासन को उखाड़ के फेंक दिया जिस के राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता था। गांधी जी ने दिखाया और संसार के सम्मुख एक मिसाल प्रस्तुत की और बताया कि बिना हिंसा किये और बिना किसी हथियार के बड़ी से बड़ी शक्तियों को परास्त किया जा सकता है।
लेकिन आज प्रश्न ये हे की आज गाँधी जी तो नहीं हैं तो किया गाँधी जी की आवश्यकता है, तो इस सवाल का अति उत्तम उत्तर हे की आवश्यकता नहीं अति आवश्यकता है । आज के भारत में भारत की जनता जिस तरह भीड़ तंत्र में बदल रही या बदल दी जा रही है, ऐसे समय गांधी जी के सिर्फ आदर्श ही नहीं बल्कि गांधी जी की ही आवश्यकता है।
गाँधी जी ने अंग्रेज़ों से जिस कठिन तपस्या और बड़े संघर्ष से भारत को आज़ाद कराया और आज़ाद भारत के लिए जो सपने बुने थे उस तरह का ये भारत नहीं है। वो ऐसे देश का निर्माण चाहते थे जिस में सभी धर्मों के लोग मिलकर रहे और देश के विकास में ततपर रहे। आज गांधी जी के सपनों की हर तरफ धज्जियां उड़ती दिख रही हैं। लोगों में आपसी विश्वास कम होता जा रहा है। एक दुसरे को गिराकर आगे बढ़ने की होढ बढ़ रही है। मंदिर मसजिद के झगड़े समय समय पर गांधी जी की आत्मा को कष्ट देते रहते हैं,
गाँधी जी हमेशा धार्मिक भेदभाव के खिलाफ थे वो हमेशा जीवन पर्यंत हिन्दू और मुस्लिम के बीच की दूरी को जो अंग्रेज़ों ने दोनों वर्गों के बीच फुट डालो और शासन करो की नीति से पैदा की थी को दूर करते रहे।
गाँधी जी धर्मिक सौहार्द के लिए हमेशा एक भजन गाते थे,
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान।
इस भजन के दुआरा उन्होंने दोनों वर्गो को ये समझाया कि दोनों एक ही हैं।
लेकिन उस समय गांधी को समझने और अपनाने वाले बहुत थे। लेकिन दुःख इस बात का हे की अब ऐसे लोगों की संखया निरन्तर कम हो रही हे और लोग ये भूल रहे हैं कि आज के इस समय जब नफरत बढ़ रही है तो उस को हराने के लिए हमे गांधी जी के अहिंसा, धर्मो के बीच प्रेम और सेवा भाव के सिद्धांत की आवश्यकता है। मुझे तो लगता है कि किसी न किसी को फिर से गांधी बनकर और गांधी के सिद्धांत को लेकर खड़ा होना पड़ेगा तभी हम दुबारा उस सुंदर भारत के गांधी जी के सपने को पूरा कर पाएंगे जो उन्होंने कभी देखा था।
आइये गाँधी जयंती के शुभ अवसर पर हम सब मिलकर प्रण ले की हम सब गांधी के आदर्श पर चलकर ग़ांधी जी के सपनों को पूरा करेंगे और एक ऐसे देश का निर्मण करेगे जहाँ कोई किसी से दुखी न हों, सब एक दुसरे का आदर करे और सभी धर्मों के बीच इतना भाईचारा हो की पूरे विश्व में एक संदेश जाये की भारत एक ऐसा देश है कि जहां विभिन्न मत के लोग आपस में कितने प्रेम से रहते हैं।
हम पूरी आशा के साथ और पूरी उम्मीद से कह सकते हैं कि वह दिन अवश्य आएगा जब गांधी जी के सपनों को हम सब देशवासी पूरा करेंगे।
अवश्य अवश्य अवश्य................
गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था, जो गुजरात राज्य में स्तिथ है। गाँधी जी ने जिस समय आँख खोली वो समय भारत वर्ष के लिए अत्यंत कठिन और दुखदायी समय था। भारत अंग्रेजों की ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा था। प्रजा पर अत्यधिक अत्याचार होते थे। अर्थात कठिनाई ही कठिनाई थी।
गाँधी जी जो अफ्रीका से 21 बर्षों के लंबे संघर्ष करके भारत वापस आये थे और ये संघर्ष वहाँ के निवासियों के साथ भेदभाव पूर्ण नीति के विरुद्ध था। भारत देश भी इसी तरह की ग़ुलामी की ज़नजीरों में जकड़ा था। ग़ांधी जी का मन ये सारे भेद भाव देखकर बहुत दुखी हुआ और उन्होंने इस के विरुद्ध आवाज़ उठाने का फैसला किया।
गाँधी जी ने अंग्रेजों की गुलामी और भेदभाव की नीति के विरुद्ध आंदोलन के लिए एक नये प्रकार के हथियार का अविष्कार किया। और इस नए हथियार का नाम था अहिंसा। अर्थात Non Violence। ये एक ऐसा हथियार था जिसका प्रयोग इस संसार में आज़ादी के आंदोलनो में कभी किसी ने नहीं किया था। अहिंसा के इस हथियार से गांधी जी ने उस ब्रिटिश शासन को उखाड़ के फेंक दिया जिस के राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता था। गांधी जी ने दिखाया और संसार के सम्मुख एक मिसाल प्रस्तुत की और बताया कि बिना हिंसा किये और बिना किसी हथियार के बड़ी से बड़ी शक्तियों को परास्त किया जा सकता है।
लेकिन आज प्रश्न ये हे की आज गाँधी जी तो नहीं हैं तो किया गाँधी जी की आवश्यकता है, तो इस सवाल का अति उत्तम उत्तर हे की आवश्यकता नहीं अति आवश्यकता है । आज के भारत में भारत की जनता जिस तरह भीड़ तंत्र में बदल रही या बदल दी जा रही है, ऐसे समय गांधी जी के सिर्फ आदर्श ही नहीं बल्कि गांधी जी की ही आवश्यकता है।
गाँधी जी ने अंग्रेज़ों से जिस कठिन तपस्या और बड़े संघर्ष से भारत को आज़ाद कराया और आज़ाद भारत के लिए जो सपने बुने थे उस तरह का ये भारत नहीं है। वो ऐसे देश का निर्माण चाहते थे जिस में सभी धर्मों के लोग मिलकर रहे और देश के विकास में ततपर रहे। आज गांधी जी के सपनों की हर तरफ धज्जियां उड़ती दिख रही हैं। लोगों में आपसी विश्वास कम होता जा रहा है। एक दुसरे को गिराकर आगे बढ़ने की होढ बढ़ रही है। मंदिर मसजिद के झगड़े समय समय पर गांधी जी की आत्मा को कष्ट देते रहते हैं,
गाँधी जी हमेशा धार्मिक भेदभाव के खिलाफ थे वो हमेशा जीवन पर्यंत हिन्दू और मुस्लिम के बीच की दूरी को जो अंग्रेज़ों ने दोनों वर्गों के बीच फुट डालो और शासन करो की नीति से पैदा की थी को दूर करते रहे।
गाँधी जी धर्मिक सौहार्द के लिए हमेशा एक भजन गाते थे,
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान।
इस भजन के दुआरा उन्होंने दोनों वर्गो को ये समझाया कि दोनों एक ही हैं।
लेकिन उस समय गांधी को समझने और अपनाने वाले बहुत थे। लेकिन दुःख इस बात का हे की अब ऐसे लोगों की संखया निरन्तर कम हो रही हे और लोग ये भूल रहे हैं कि आज के इस समय जब नफरत बढ़ रही है तो उस को हराने के लिए हमे गांधी जी के अहिंसा, धर्मो के बीच प्रेम और सेवा भाव के सिद्धांत की आवश्यकता है। मुझे तो लगता है कि किसी न किसी को फिर से गांधी बनकर और गांधी के सिद्धांत को लेकर खड़ा होना पड़ेगा तभी हम दुबारा उस सुंदर भारत के गांधी जी के सपने को पूरा कर पाएंगे जो उन्होंने कभी देखा था।
आइये गाँधी जयंती के शुभ अवसर पर हम सब मिलकर प्रण ले की हम सब गांधी के आदर्श पर चलकर ग़ांधी जी के सपनों को पूरा करेंगे और एक ऐसे देश का निर्मण करेगे जहाँ कोई किसी से दुखी न हों, सब एक दुसरे का आदर करे और सभी धर्मों के बीच इतना भाईचारा हो की पूरे विश्व में एक संदेश जाये की भारत एक ऐसा देश है कि जहां विभिन्न मत के लोग आपस में कितने प्रेम से रहते हैं।
हम पूरी आशा के साथ और पूरी उम्मीद से कह सकते हैं कि वह दिन अवश्य आएगा जब गांधी जी के सपनों को हम सब देशवासी पूरा करेंगे।
अवश्य अवश्य अवश्य................
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6 टिप्पणियाँ
Click here for टिप्पणियाँSuhail bhai!!! Very great written vichar. All Indian people Think and Follow this.
Replyबहुत बहुत शुक्रिया भाई। प्लीज अपना नाम तो बता दें।
ReplyMashallah Suhel sahab... Bohot khoob
ReplyThank you Saad Sahab
ReplyWell initiative.... Keep it up dost.....👌👌👌💐💐💐
ReplyThank you
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